Sunday, March 13, 2011

भूल जाना हमे तुम..


इश्क़ में हम इस कदर खोए, दुनिया को भूल गये हम,
जब तुमसे जुदा हुए, खुद को ही भूल गये हम..
कब तक अकेले रहेंगे हम, अब तो हमारा साथ दो..
जान तक दे देंगे, अगर मेरे हाथो मे तुम अपना हाथ दो..

तुम्हे दुनिया से चुराने की हिम्मत रखते हे हम,
हमे हमसे ही चुरा लिया तुमने ...
जीवन के इस समंदर से, किनारे तुम्ही लगावोगी लगा था,
पतझड़ में भी सावन बनके बरसोगी ऐसे लगा था ..

क्यू बदली तुम, क्यू इस तरह जुदा हुई हमसे,
खफा हुई हमसे इस तरह की बेवफा हो गयी हमसे..
प्यार करने की यही सज़ा हे, तो हम प्यार ही नही करते..
यू खुद को भुला के आपसे आँखे चार नही करते..

अब हो गयी खता, तो अकेले जी लेंगे सनम,
किसीसे क्या करे शिकवा, जब ग़लत खेल खेले हे हम
याद कभीभी करना नही हमे, चैन अपना ना गवाना तुम
बस इतना रहम करदो हम पे, भूल जाना हमे तुम..